औषधियों का सेवन और मसूड़ों का स्वास्थ्य
औषधियों का सेवन और पेरियोडोंटल स्वास्थ्य
- पेरियोडोंटियम पर, व्यवस्थित औषधि उपचार के प्रभाव के तौर पर पेरिडोंटल ऊतकों पर विभिन्न प्रकार के प्रतिकूल प्रभावों से लेकर पेरियोडोंटल ब्रेकडाउन में बढ़ोत्तरी और कुछ मात्रा में इससे बचाव होने तक के रूप में देखने को मिल सकते हैं।
- औषधि जनित मसूड़े ओवरग्रोथ के बारे में यह प्रसिद्ध है कि वह फिनायटोइन, साइक्लोस्पोराइन और कैलशियम चैनल ब्लॉकरों जैसे व्यवस्थित औषधि सेवन के प्रतिकूल प्रभाव के कारण होती है।
- इन औषधियों के कारण पेरियोडोंटल रोग की प्रकृति और उसकी अवधि पर भी प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि सूजन दूर करने वाली औषधियों, कॉर्टिकोस्टेरॉइड और इम्यूनोसपरेसेंट औषधियों का असर रोग प्रतिरोधक क्षमता और सूजन संबंधी प्रतिक्रियाओं पर पड़ता है।
- मुंह सूखने, मसूड़ों से असामान्य रक्त स्राव होने, स्वाद बदलने, मुंह के मुलायम ऊतकों में सूजन आने, मसूड़े फैल जाने, दाँतों का रंग बदल जाने और मसूड़ों का भी रंग बदल जाने जैसे कुछ और सामान्य उप प्रभाव हैं जो कि मुख स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली दवाइयों के सेवन से होते हैं।
- एंटीहिस्टामाइन, डीकन्जेस्टेंट, एंटी हाइपरटेंसिव्स, एंटीडिप्रेसेंट, सेडेटिव, पेन-किलर, ब्लड-थिनर और ओरल कांट्रेसेप्टिव्स जैसी कुछ और दवाइयां हैं जिनका प्रभाव मुख स्वास्थ्य पर पड़ता है।
उपचार का तरीका
- ऐसे रोगी जो ऐसी औषधियों का सेवन कर रहे हैं जिनका प्रभाव पेरियोडोंटल स्वास्थ्य पर पड़ रहा हो, को सहायक प्लाक नियंत्रण एजेंटों की जरूरत पड़ सकती है; साथ ही उन्हें पेरियोडोंटल ऊतकों की स्थिति की और अधिक कड़ी निगरानी करनी चाहिए।
- एस्पिरिन या अन्य एंटीकोएगुलेंट औषधियां लेने वाले रोगियों के लिए जरूरी है कि वे इन औषधियों के सेवन के बारे में अपने दंत चिकित्सक को पहले से ही बता दें। मुलायम टूथब्रश का प्रयोग करते हुए हल्के हाथों से ब्रश करने और फ्लॉसिंग करने से रक्तस्राव की संभावना में कमी आ सकती है।
- जो रोगी ऐसी दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, जिनसे मुख विवर (कैविटी) में शुष्कता बढ़ती है, उनके लिए बार-बार घूंट-घूंट कर पानी पीना, शर्करा-रहित गम चबाने और नियमित तौर पर ब्रश करना आवश्यक है।
- मसूड़े फैल जाने अथवा जरूरत से अधिक बढ़ जाने की स्थिति में इनके पेशेवर निदान और प्रबंधन की जरूरत पड़ती है। रोग की गंभीरता को देखते हुए दंत चिकित्सक किसी फिजीशियन से परामर्श लेकर किसी एक दवा के स्थान पर दूसरी दवा का सुझाव दे सकता है या फिर मसूड़ों की शल्य चिकित्सा करने के बाद प्रोफ्लेक्सिस कर सकता है यदि मसूड़ों की अतिशय बढ़ोत्तरी के कारण रोगी को अपने सामान्य कामकाज में बाधा आती है या उसकी सुंदरता बिगड़ने का लक्षण दिखाई देता है।
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