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राष्ट्रीय मुख स्वास्थ्य कार्यक्रम

इतिहास

वर्ष 1986 से पहले, व्यापक मुख स्वास्थ्य परिचर्या कार्यक्रम शुरू किए जाने के कुछ छुटपुट प्रयास ही किए गए थे। वर्ष 1986 में, इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, भारतीय दंत चिकित्सक संघ (इंडियन डेंटल एसोसिएशन) द्वारा प्रथम राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का प्रारूप तैयार किया गया।

वर्ष 1999 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रथम राष्ट्रीय मुख स्वास्थ्य कार्यक्रम, प्रायोगिक आधार पर, मुख एवं मैक्सिलोफेसियल सर्जरी विभाग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के सहयोग से शुरू किया। इस कार्यक्रम का कार्यान्‍वयन पूरे देश में फैले पांच राज्यों के एक-एक जिले में किया गया।

11वीं पंचवर्षीय योजना में, वर्ष 2007 से 2012 के दौरान, सभी रोग नियंत्रण कार्यक्रमों को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत समाविष्ट कर दिया गया और इसके तहत मुख स्वास्थ्य के संबंध में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण के लिए एक संकेतिक राशि आबंटित की गई।

12वीं पंचवर्षीय योजना में वर्ष 2012 में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राष्ट्रीय मुख स्वास्थ्य प्रकोष्ठ की स्थापना के लिए बजट आबंटन किया गया।

वर्ष 2014 में डॉ. जगदीश प्रसाद, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवा, की अध्यक्षता में मुख स्वास्थ्य के संबंध में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया और इस प्रकार से राष्ट्रीय मुख स्वास्थ्य कार्यक्रम, अपने वर्तमान स्वरूप में प्रस्तुत किया गया। दंत शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (सेंटर फॉर डेंटल एजुकेशन एंड रिसर्च (सीडीईआर)), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केन्‍द्र के रूप में कार्य कर रहा है।

राष्ट्रीय मुख स्वास्थ्य कार्यक्रम का काम दो भागों के अंतर्गत किया जा रहा है:

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) भाग: कार्यक्रम कार्यान्वयन योजना (पीआईपी) प्रक्रिया के माध्यम से राज्य और संघ राज्य क्षेत्र, जिला अस्पताल और इससे निचले स्तर पर दंत चिकित्‍या इकाइयों की स्थापना के लिए सहायता मांग सकते हैं ताकि वे सभी को मुख स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर सकें। राज्य और संघ राज्य क्षेत्र, निम्नलिखित में से सभी के लिए या किसी भी भाग के लिए सहायता की मांग, जरूरत के अनुसार कर सकते हैं:
    • जनशक्ति सहायता (दंत चिकित्‍सा, दंत स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञानी, दंत सहायक)
    • डेंटल चेयर, एक्स-रे यूनिट, ऑटोक्लेव आदि सहित उपकरण
    • उपभोज्‍य सामग्री जो कि दंत चिकित्सा उपचार में प्रयोग की जाती है।
  • तृतीयक भाग - इसके अंतर्गत वे सभी गतिविधियां शामिल है जो इस कार्यक्रम के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए केन्‍द्रीय स्तर पर संचालित की जाती हैं। इन गतिविधियों में शामिल हैं:
    • आईईसी/बीसीसी सामग्री जैसे कि पोस्टर, टीवी, रेडियो स्पॉट, प्रशिक्षण मॉड्यूल आदि डिजाइन करना।
    • कार्यक्रम के प्रबंधन कौशल को बढ़ाने और कार्यक्रम की स्थिति की समीक्षा करने के लिए राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय नोडल अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना।
    • स्वास्थ्यचर्या संदाय प्रणाली में दंत चिकित्सा और पेराडेंटल स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने के लिए राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय कार्यशालाओं का आयोजन करके राज्य/जिला स्तर के प्रशिक्षकों को तैयार करना।

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