अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
अकल दाढ़ तीसरी दाढ़ होती है जो निकलने वाला अंतिम दांत होता है यह ऊपरी और निचले जबड़े में सबसे पीछे स्थित होता है | इनकी संख्या चार होती है | कुछ लोगो की तीसरी दाढ़ नहीं होती है |
तीसरी दाढ़ सामान्यता 15 से 18 वर्ष की आयु , एक ऐसा समय, जो आम तौर पर किशोरावस्था प्रारम्भ होने और अकल दाढ़ के निकलने से सम्बंधित होता है, के बीच पूर्ण विकसित होता है |
जब वे जबड़े से पूरी तरह से निकल नहीं पाते, तो उन्हें प्रभावित'' माना जाता है | ऐसा प्राय : स्थान की कमी के कारण होता है | हमारा जबड़ा विकसित होता है और हमारे परिष्कृत भोजन के कारण ये छोटे आकार में विकसित होते है | इसलिए अकल दाढ़ को प्रभावित माना जाता है | ये दांत रुक-रुक कर निकलते है
ऐसा तब होता है जब किसी व्यक्ति के जबड़े में प्राय : इन अंतिम चार दांतो को समायोजित करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होती है | इससे अक्ल दाढ़ आपके मसूड़े की सतह के नीचे खिसकती है अथवा बेतरतीब तरीके से बढ़ती है |
जब इन दांतो में सामान्य विकास के लिए प्रायप्त जगह नहीं होती है, तो इन्हे प्रभावित माना जाता है, वे घुमा हुआ झुका हुआ अथवा विस्थापित हो सकता है क्योकि वे दांत विकसित होने की कोशिश करते है |
ऐसे कई तरीके है जिनसे आपके दांत को इस आधार पर दबाव में माना जा सकता है कि उनका स्थापन आपके जबड़े में है | एक हल्का दबाव ये होता है की जब दांत का कर्म अस्थि के माध्यम से आता है, किन्तु मसूड़े के ऊतक अभी भी दांत के उस भाग को ढके रहते है | जब दांत आंशिक रूप से इसके माधयम से निकलता है तो आंशिक अस्थि दबाव होता है , किन्तु अन्य भाग जबड़े की हड्डी में रहता है | अंत में पूर्ण अस्थि दबाव तब होता हे जब पूरा दांत जबड़े की अस्थि में लगा रहता है |
यह नोट करना महत्वपूर्ण है की सभी दबाव अकल दाढ़ का लक्षण नहीं होते | आपके मुख में दबाव वाला अकल दाढ़ हो सकती है पर आपने महसूस भी नहीं किया हो | यदि आपके मुँह में दबाव वाला अकल दाढ़ है तो उसके पता लगाने का सबसे बेहतर तरीका आपके दंत चिकित्सक से संपर्क करना है |
केवल इसलिए कि आपकी अकल दाढ़ आपको कठिनाई नहीं दे रही है, इसका अर्थ ये नहीं है की वे दांत स्वस्थ हे | अकल दाढ़ में बीमारी लगने की सम्भावना होती है और प्राय : इनकी एक बड़ी समस्या बनने तक कोई लक्षण नहीं होता हे | अकल दाढ़ का मूल्यांकन किया जाना चाहिए और निम्न्लिखित स्थिति में इन्हे निकल देना चाहिए :
- संक्रमण और / अथवा पेरियोडोन्टल रोग |
- पेरिकोरोनिटिस (अकल दाढ़ के आस पास ऊतक में जलन) |
- सड़न जिसे ठीक नहीं किया जा सकता |
- पैथोलॉजी जैसे सिस्ट और ट्यूमर (दबाव वाले अकल दाढ़ के चारो और सिस्ट | यदि सिस्ट का उपचार नहीं किया गया तो जबड़े की अस्थि में इससे गंभीर क्षय हो सकता है )|
- आसपास के दांतो की क्षति | (दबाव वाले अकल दाढ़ से उनके सामने वाले दांतो में सड़न हो सकती है | प्राय : इस परिणाम से दोनों ही दांतो को क्षति हो सकती है | समय पर अकल दाढ़ को निकल देने से इस अनावश्यक दांत के नुक्सान से बचा जा सकता है |)
- टेढ़े दांत को सही करने के लिए (ऑर्थोडॉन्टिक उपचार) |
- क्रायोप्रिज़र्वेशन का भी सुझाव दिया गया है क्योकि ये स्टेम सेल के स्रोत है जिनका इस्तेमाल विभिन अस्थि मज्जा सम्बन्धी विकार के उपचार के लिए किया जा सकता है |
- यदि यह निर्णय लिया जाता है कि दांत को निकाले जाने का संकेत है, तो वर्तमान अथवा आशान्वित लक्षण और समस्याओ के कारण इसे यथा शीघ्र करना बेहतर है | ऐसा इसलिए क्योकि प्राय : युवा रोगी में दबाव वाले अकल दाढ़ को निकालना आसान होता है क्योकि हड्डी अधिक लचीली होती है और वह भाग तेजी से ठीक होता है |
अमेरिकी जन स्वास्थ्य संघ (अमेरिकन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन) नैदानिक पैथोलॉजी अथवा प्रदशनी योग्य आवश्यकताओं के साक्ष्य के आधार पर ही अकल दाढ़ को निकलने की सिफारिश करता है और प्रोफाइलैटिक निष्कर्षण का विरोध करता है जो लोगो और समाज पर अनावशयक भार होता है जिससे बचा जा सकता हे और इसमें स्थायी जखम का जोखिम होता है
उसी प्रकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य संसथान द्वारा 1980 की एक रिपोर्ट में संक्रमण, सड़न, सिस्ट, ट्यूमर और आस पास के दांतो और अस्थि को क्षति होने के कारण अकल दाढ़ को हटाने की सिफारिश की गयी थी | यह एसिम्टोमेटिक, पूर्ण दबाव वाले दांतो को हटाने की सिफारिश नहीं करता है
जी हां, मुख स्वास्थ्य को बनाए रखने में कमी से दाँतों पर एक पतली परत जम जाती है जिसे प्लाक कहते हैं। इसके अतिरिक्त, नियमित जीभ को साफ न करने के कारण जीभ पर परत जमने से सांसों में दुर्गंध आती है जिससे अस्थिर सल्फर यौगिक के साथ जीवाणु उत्पन्न होते हैं।
आगे के ऊपर और निचले दाँतों को विशिष्ट पैटर्न वाली कवरिंग के साथ दाँतों पर सफेद दाग के होने का अर्थ है कि उस इलाके की जलापूर्ति में अत्यधिक फ्लोराइड मौजूद है। इसकी गंभीरता का मूल्यांकन और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए किसी दंत चिकित्सक द्वारा आकलन किया जाना आवश्यक होता है। साथ ही, यदि यह अधिकता में पाया जाए तो संबंधित प्राधिकारियों को सावधान किए जाने की आवश्यकता हो सकती है।
जी हां, विशेषकर रात में शिशु को निरंतर बोतल से मीठा दूध पिलाने से निचले आगे के दाँतों के कम होने के साथ सभी दाँतों में सड़न हो सकती है। जैसे ही पहला दाँत निकलता है उसके तत्काल बाद यह महत्वपूर्ण है कि माता किसी दंत चिकित्सक से सलाह ले और जीवन में मुख की स्वच्छता के महत्व पर सलाह प्राप्त करे।
नियमित दाँतों की सफाई और कुल्ला करने से दाँतों पर दाग लगने से बचने में सहायता मिल सकती है। यदि ये दाग बने रहते हैं तो दंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। कभी-कभी यह टेट्रासाइक्लिन जैसी कुछ दवाओं के परिणास्वरूप हो सकता है।
प्राय: यह सलाह दी जाती है कि प्रत्येक छह महीने में दंत चिकित्सक द्वारा आपके दाँतों की सफाई हो।
गुल मंजन/ मंजन/ टूथ पाउडर अथवा अन्य ऐसे पदार्थों में कतिपय खुरदुरा यौगिक पाया जाता है जिससे दाँतों का एनेमल निकल सकता है। साथ ही, यह भी पाया जाता है कि गुल मंजन में तंबाकू होता है और इस प्रकार इससे आदत बन सकती है जिससे मुंह का अल्सर/ कैंसर हो सकता है।
एक दिन में दो बार दाँतों को साफ करने के लिए मुलायम ब्रश और मटर के दाने के बराबर पेस्ट का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। इससे दाँतों पर गंदगी नहीं जमती और दाँतों में सड़न या मसूड़ों की बीमारी नहीं होती है।
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